ऐसे ही नहीं मिल गई आपको GST में बड़ी राहत, ये है अंदर की पूरी कहानी

सरकार ने जीएसटी की दरों में सुधार के लिए पहले ही तैयारी पूरी कर ली थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार छह महीने तक कई अलग-अलग समूहों के साथ बैठकों में बात की. प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा था कि मिडिल क्लास और गरीब जनता को बड़ी राहत दी जाए और इसी मकसद से कई स्तरों पर चर्चा हुई.

वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस विषय पर कई बैठकें कीं. इन बैठकों का उद्देश्य था कि राजनीतिक रूप से किसी भी संवेदनशील वस्तु पर टैक्स को लेकर बाद में विवाद न हो. पीएम मोदी ने ये भी कहा कि राजस्व की स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए ताकि राज्य सरकारें भी संतुष्ट रहें और संघीय ढांचे की मजबूती बनी रहे.

7 बजे तक खत्म होने वाली बैठक 9 बजे तक चली

फैसला लेने के लिए जीएसटी परिषद की दो दिन की बैठक बुलाई गई थी. पीएम मोदी ने लाल किले से जनता को जीएसटी में राहत देने का ऐलान किया था. बैठक 3 सितंबर को हुई, लेकिन विपक्षी राज्यों को अपनी राजस्व की कमी को लेकर चिंता थी. खासकर पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल और कर्नाटक ने कटौती का विरोध किया. इसी कारण जो बैठक शाम 7 बजे तक खत्म होनी थी, वो रात साढ़े नौ बजे तक चली.

विपक्षी राज्यों ने की बैठक अगले दिन तक टालने की मांग

बैठक में पंजाब और पश्चिम बंगाल बाद में राजी हो गए, लेकिन कर्नाटक और केरल अड़े रहे. ये दोनों राज्य चाहते थे कि केंद्र सरकार राजस्व हानि की भरपाई का भरोसा दे. विपक्षी राज्यों ने बैठक को अगले दिन तक टालने की मांग की, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतिम निर्णय पर पहुंचने के लिए रात भर बैठने को तैयार थीं.

आखिर कैसे बनी सभी राज्यों में सहमति?

जब बैठक में गतिरोध बना रहा, तो छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने कहा कि अगर कर्नाटक और केरल तैयार नहीं हो रहे हैं, तो वोटिंग करवा ली जाए. जीएसटी परिषद में आमतौर पर सभी सदस्य सहमति से ही निर्णय लेते हैं, वोटिंग बहुत कम होती है. चौधरी ने यह बात कई बार दोहराई. अंत में निर्मला सीतारमण को भी कहना पड़ा कि जो वोटिंग चाहते हैं, साफ कहें. इससे विपक्षी राज्यों को डर लगा कि वोटिंग में विरोध करने से जनता नाराज हो सकती है. तभी पश्चिम बंगाल ने दखल दिया और कर्नाटक व केरल को मनाया. इस तरह सभी की सहमति बन गई और वित्त मंत्री ने देर रात फैसले का ऐलान किया.

वित्त मंत्री राज्यों को दिलाया भरोसा

बैठक में निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि किसी भी राज्य के साथ अन्याय नहीं होगा. उन्होंने कमरे में रखी टेबल की ओर इशारा करते हुए बताया कि यहां रखा पैसा केंद्र और राज्यों दोनों का है. अगर राज्यों को नुकसान हो रहा है, तो केंद्र को भी हो रहा है. लेकिन अभी हमारा मकसद आम जनता को राहत देना है. उन्होंने कहा कि केंद्र के पास अलग से पैसा नहीं है इसलिए राज्यों और केंद्र को मिलकर ही यह काम करना होगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्यों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

GST सुधार का असर: शुरू में थोड़ी कमी, बाद में फायदा

सूत्रों के मुताबिक जीएसटी सुधार के कारण शुरू के छह महीनों में जीएसटी संग्रह पर असर पड़ सकता है. इस वित्त वर्ष की बची अवधि में कलेक्शन में कमी आ सकती है. लेकिन अगले वित्तीय वर्ष से इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगेंगे. इससे लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा और उनकी खरीदारी बढ़ेगी. इससे धीरे-धीरे राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी.

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