अंबानी, अडानी से लेकर नारायणमूर्ति तक; Trump Tariff ने ऐसे उड़ाई अरबपतियों की नींद
ट्रंप टैरिफ इस समय पूरी दुनिया में चर्चा में बना हुआ है. अमेरिका ने भारत पर भी टैरिफ बढ़ाकर 50% कर दिया है. और अब इसका असर भारत के कुछ सबसे अमीर और प्रभावशाली कारोबारियों पर भी पड़ रहा है. चाहे वो मुकेश अंबानी की RIL हो, गौतम अडानी का पोर्ट और एनर्जी बिजनेस हो या नारायण मूर्ति की इंफोसिस, सब के कारोबार पर इसका असर साफ दिख रहा है.
इंफोसिस के को-फाउंडर नारायणमूर्ति के फैमिली ऑफिस कैटामारन वेंचर्स के अध्यक्ष दीपक पडाकी ने ब्लूमबर्ग को बताया कि,’हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं. इससे निकलने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम ऐसे प्रोडक्ट बनाएं जो ग्राहकों के लिए जरूरी हों, ताकि वो अतिरिक्त लागत भी चुकाने को तैयार हों.’
मुकेश अंबानी की RIL पर सीधा असर
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस साल के पहले छह महीनों में रूस से लगभग 142 मिलियन बैरल कच्चा तेल खरीदा है, जिससे कंपनी को करीब 571 मिलियन डॉलर की बचत हुई है. लेकिन अब टैरिफ से निर्यात पर असर पड़ सकता है क्योंकि इसका 45% हिस्सा निर्यात से आता है. इसके साथ ही रिलायंस अमेरिका में भी अपने एनर्जी बिजने, और डिजिटल प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रही है, जहां गूगल, मेटा और डिजनी जैसे बड़े नाम इसके साथ हैं.
अडानी पोर्ट और सोलर कारोबार पर असर
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के विश्लेषक शेरोन चेन ने एक रिपोर्ट में बताया कि गौतम अडानी की अडानी पोर्ट्स देश की सबसे बड़ी पोर्ट कंपनी है, जिसकी बाजार हिस्सेदारी 27% है. इस कारण टैरिफ का असर जब विदेशी व्यापार पर होगा तब अडानी पोर्काट का कारोबार सबसे ज्यादा प्रभावित होगा. साथ ही, अडानी ग्रुप ने हाल ही में अपने सोलर पैनल्स का बड़ा हिस्सा अमेरिका को एक्सपोर्ट किया है. इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार, अगर टैरिफ जारी रहे तो उनकी सोलर सेल बिक्री को सीधा झटका लगेगा क्योंकि अमेरिका भारत के सोलर मॉड्यूल का सबसे बड़ा खरीदार है.
लक्ष्मी मित्तल की इस्पात कंपनी भी प्रभावित
आर्सेलर मित्तल ने साल 2024 में अमेरिका को करीब 6.7 अरब डॉलर का स्टील एक्सपोर्ट किया. कंपनी को टैरिफ के कारण इस साल प्रॉफिट में 150 मिलियन डॉलर की गिरावट की आशंका है. कंपनी अब अमेरिका में ही अपने निर्माण कार्य को बढ़ा रही है ताकि जोखिम रिस्क किया जा सके.
रॉयल एनफील्ड की बिक्री पर ब्रेक
आयशर मोटर्स की रॉयल एनफील्ड बाइक अमेरिका में काफी पसंद की जा रही है. लेकिन अब टैरिफ के चलते इन बाइक्स की कीमतें बढ़ेंगी और बिक्री कम होगी. लेकिन कंपनी अब अपने प्रोडक्ट्स को अमेरिका में बेचने के लिए कनाडा में गोदाम खोलने का विकल्प भी देख रही है.
कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर में भी खतरा
पॉलीकैब, मदरसन ग्रुप, भारत फोर्ज और वेलस्पन लिविंग जैसी कंपनियां भी अमेरिका को अपने प्रोडक्ट भेजती हैं. वेलस्पन को अपने रेवेन्यू का 61% अमेरिका से मिलता है. वहीं भारत फोर्ज ने पिछले साल अमेरिका को 200 मिलियन डॉलर का माल बेचा था. वहीं पॉलीकैब के लिए तांबे पर टैरिफ एक बड़ा टेंशन बन गया है. इन कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार बहुत अहम है और ट्रंप की टैरिफ नीति ने उनके सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.
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