किराया दें या EMI भरें? घर खरीदने से पहले ये गणित जरूर समझ लें

भारत में एक आम सोच है कि किराए पर रहना पैसे की बर्बादी है और अपना घर ही असली निवेश है. यह सोच पीढ़ियों से मिडिल क्लास को सिखाई जा रही है. लेकिन अब कुछ एक्सपर्ट्स, जैसे सीए नितिन कौशिक, इस सोच को एक फाइनेंशियल जाल बता रहे हैं, जिसमें लोग बिना सोचे-समझे फंस जाते हैं.

मान लीजिए आप 1 करोड़ रुपये का फ्लैट खरीदते हैं, और इसके लिए बैंक से 80 लाख का होम लोन लेते हैं. इस पर 9% ब्याज दर और 20 साल की अवधि के हिसाब से हर महीने लगभग 72,000 रुपये की EMI देनी पड़ेगी. यानी 20 साल में आप कुल मिलाकर करीब 1.73 करोड़ रुपये चुका देते हैं. जबकि घर की कीमत सिर्फ 1 करोड़ रुपए थी. इसमें से करीब 93 लाख सिर्फ ब्याज के रूप में जाता है. यानी आप जितनी रकम में उस घर को खरीदते हैं, उतने में आप उसी घर को कई साल किराए पर लेकर रह सकते थे. फिर भी लोग इसे बर्बादी क्यों मानते हैं?

घर खरीदना: भावना या समझदारी?

घर खरीदना अक्सर एक इमोशनल डिसीजन बन जाता है, लोग क्या कहेंगे, किराए पर कब तक रहेंगे ऐसी बातों से लोग जल्दीबाजी में लोन ले लेते हैं. पर इस निर्णय के पीछे गणित नहीं भावना होती है और यही गलती भारी पड़ती है.

लोग अपनी पूरी बचत डाउन पेमेंट में लगा देते हैं. इसके बाद सालों तक EMI चुकाने में उनकी आधी से ज्यादा सैलरी चली जाती है. नतीजा? ना इमरजेंसी फंड बचता है, ना जिंदगी में फ्लेक्सीबिलिटी. किसी और शहर में नौकरी मिले तो ट्रांसफर मुश्किल, घर की मरम्मत का खर्च अलग, और प्रॉपर्टी टैक्स भी खुद को ही देना पड़ता है.

किराए पर रहना, नुकसान नहीं विकल्प है

सीए नितिन कौशिक बताते हैं कि भारत के शहरों में किराया रिटर्न सिर्फ 3.5% से 5% तक होता है. यानी 1 करोड़ के घर का किराया आमतौर पर 25-30 हजार महीने से ज्यादा नहीं होता. अगर आप यही रकम अलग-अलग इन्वेस्टमेंट्स में लगाते हैं, जैसे म्यूचुअल फंड्स या शेयर बाजार तो 20 साल में वही पैसा आपको कई गुना रिटर्न दे सकता है. दूसरी तरफ, रियल एस्टेट में रिटर्न 6-7% ही रहता है, और उतना भी तभी जब मार्केट अच्छा चले. ऊपर से लोन का बोझ हर महीने बना ही रहता है.

जल्दबाजी में न लें फैसला

घर खरीदना गलत नहीं है. लेकिन कब, कैसे और क्यों खरीदना है, ये सोचना जरूरी है. सीए कौशिक की सलाह है कि पहले एक मजबूत इमरजेंसी फंड बनाएं, प्लानिंग इस तरह से करें कि EMI आपकी सैलरी का 25-30% से ज्यादा ना हो और डाउन पेमेंट के बाद भी कुछ सेविंग्स बचें. प्रॉपर्टी तभी लें जब आप उसमें 7-10 साल तक रहने का प्लान रखते हों.

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